नाटक में नाटक
नाटक का मुक्य पात्र :
- राकेश
- मोहन
- सोहन
- श्याम
पाठ का सारांश:-
प्रस्तुत पाठ नाटक में नाटक लेखक मंगल सक्सेना जी के द्वारा लिखित है। इस नाटक में राकेश का बुद्धिमानी और नाटक के महत्व के बारे में बताया गया है।
- जब राकेश का हाथ टूट जाता है तब वह अभिनय करने में असमर्थ होता है, तो उसके दोस्त मोहन, सोहन और श्याम को नाटक में भागीदारी करना होता है। लेकिन वो तीनो डरपोक और दब्बू किस्म के होते हैं, इसलिए राकेश को उन तीनों पर विश्वास नहीं होता है ।
- लेकिन अब नाटक का दिन नजदीक ही आ जाता है। मोहल्लों के बच्चे बेकार पड़ी जगह में मंच भी बना लेते हैं। राकेश ने उन तीनों को बहुत अच्छे से रिहर्सल कराया है। हर छोटी- से-छोटी बातों के बारे में बताया है। क्योंकि नए लोगों के लिए मंच में आना बहुत कठिन होता है वे डर जाते हैं। इसलिए राकेश ने उन्हें अच्छे से सब कुछ समझा दिया था
- नाटक का दिन आ जाता है राकेश सारी व्यवस्था करता है सारे दर्शक भी मंच में उपस्थित हो जाते हैं। धीरे-धीरे पर्दा उठता है, एक कलाकार, दूसरा शायर और तीसरा संगीतकार बना होता है। राकेश पर्दे के पीछे से उन्हें निर्देश भी देता है
- नाटक शुरू होता है । कलाकार और शायर के बीच बहस होती है कि मेरी कलाकारी अच्छी है - कलाकार बोलता -- है। शायर बोलता है मेरी शायरी अच्छी है। उसी बीच संगीतकार आकर बोलता है अरे मेरी संगीत अच्छी है। उन तीनों के बीच खूब बहस होती है, लेकिन आगे का नाटक श्याम भूल जाता है और चुप हो जाता है।
- राकेश उन्हें बताने की कोशिश करता है, लेकिन वो समझ नहीं पाता । राकेश जोर से बोल भी नहीं सकता क्योंकि दर्शक तक आवाज़ चली जाएगी। लेकिन श्याम अच्छे से सने बिना ही कुछ का कुछ बोल देता है। दर्शक हँसने लगते हैं और तीनों बिना कुछ समझे मंच में लड़ पड़ते हैं ।
- कोई किसी की बात नहीं समझता एक समझ कर संभालने की कोशिश करता तो दूसरा बिगाड़ देता | उधर राकेश गुस्से से आग-बबूला हो जाता है। जब हद हो जाती है तो राकेश पर्दा से बाहर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है। तीनों अचंभित होकर राकेश को देखने लगते हैं। | राकेश बोलता है, मैं एक दिन हॉस्पिटल क्या चला गया तुम लोग रिहर्सल करने के बजाय आपस में बहस कर रहे हो । अगर नाटक भूल गए थे तो फिर से शुरू कर लेते। अब बात राकेश ने संभाल ली थी।
- कोई किसी की बात नहीं समझता एक समझ कर संभालने की कोशिश करता तो दूसरा बिगाड़ देता | उधर राकेश गुस्से से आग-बबूला हो जाता है। जब हद हो जाती है तो राकेश पर्दा से बाहर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है। तीनों अचंभित होकर राकेश को देखने लगते हैं। | राकेश बोलता है, मैं एक दिन हॉस्पिटल क्या चला गया तुम लोग रिहर्सल करने के बजाय आपस में बहस कर रहे हो । अगर नाटक भूल गए थे तो फिर से शुरू कर लेते। अब बात राकेश ने संभाल ली थी।
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:-
(क) बच्चों ने मंच की व्यवस्था किस प्रकार की?
उत्तर: मोहल्ले के बच्चों ने एक साथ मिलकर फ़ालतू पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में घास व फूल-पौधे भी लगाए थे। और वहीं एक मंच भी बना लिया था।
(ख) पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
उत्तर: पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन ही मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा कर रहे थे क्योंकि राकेश ने बिगड़े हुए नाटक को सम्भाल लिया था। सभी ने समझा कि नाटक में नाटक की परेशानियां बताई गई हैं और अंत में सभी दर्शक नाटक की तारीफ़ करते चले गए।
ग) नाटक के लिए रिहर्सल की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर : नाटक बिना तैयारी के नहीं हो सकता क्योंकि नए कलाकार मंच पर आकर भयभीत हो सकते हैं। अच्छे-अच्छे कलाकार भी बिना रिहर्सल के परेशान हो जाते हैं। उन्हें पता नहीं चलता कब, क्या, कहाँ और कैसे बोलना है। रिहर्सल में नाटक की इन्हीं महत्वपूर्ण बातों पर बातचीत होती है।
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