बढ़े चलो
बढ़े चलो। बढ़े चलो।।
रुको नहीं, चले चलो
थको नहीं,चले चलो
झुको नहीं, बढ़े चलो
डरो नहीं, बढ़े चलो
शान से बढ़े चलो
मान से बढ़े चलो
डरो नहीं,थको नहीं
रुको नहीं, बढ़े चलो
चले चलो, चले चलो
बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
कविता का सार:
यह कविता एक प्रेरणादायक रचना है, जिसमें शिक्षक, मार्गदर्शक, या कोई सबका नेतृत्व करने वाला व्यक्ति सभी को बढ़े चलने के लिए प्रेरित करता है।
चलने का मतलब है आगे बढ़ना, रुकने और थकने की अनुमति नहीं देना, ना ही किसी डर को अपने मन में बाँधने देना।
यह कविता हमें साहस, उत्साह और समर्थन देती है कि हम हमारे लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करें और सामर्थ्य रखें, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं। यह एक प्रेरक गीत है जो हमें समर्थ बनाता है कि हम अपने जीवन में अधिक से अधिक सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर हों।
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