मेरी माँ, मेरी माँ कितनी अच्छी मेरी माँ। प्यारी प्यारी मेरी माँ, भोली-भाली मेरी माँ।।
लोरी गाकर मुझे सुलाती मेरी माँ चुपके आकर मुझे जगाती मेरी माँ उठ उठ मुन्ने राजा कहती मेरी माँ मेरी माँ, मेरी माँ ।। 1 ।। माँ।।1।
खेल-खिलौने मुझे दिलाती मेरी माँ दूध - मलाई मुझे खिलाती मेरी माँ कभी प्यार से मुझे डाँटती मेरी माँ जब मैं रूहूँ मुझे मनाती मेरी माँ मेरी माँ, मेरी माँ।। 2 ।।
रोज़ कहानी नयी सुनाती मेरी माँ चाँद-सितारों तक ले जाती मेरी माँ कष्ट उठाकर मुझे पढ़ाती मेरी माँ प्रेम, दया, ममता की मूरत मेरी माँ मेरी माँ, मेरी माँ ॥ 3 ॥
यह कविता माँ की ममता, प्रेम, और समर्पण का सुंदर प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है।
पंक्तियों का सार: इन पंक्तियों में में कवि माँ की सराहना की है और उन्हें प्यारी और भोली-भाली कहा है। वह बताते हैं कि माँ लोरियों गाकर उन्हें सुलाती हैं और चुपके से उन्हें जगाती हैं। माँ अपने बच्चों को उठा कर उन्हें "मुन्ने राजा" कहती हैं, जिससे उन्हें खुशी और गर्व होता है।
पंक्तियों का सार : इन पंक्तियों मेंमें कवि ने बताया है कि माँ अपने बच्चे को खेल-खिलौने देती हैं और दूध-मलाई से खिलाती हैं। वे प्यार से डाँटती हैं, लेकिन जब उनके बच्चे रूठ जाते हैं तो माँ उन्हें मनाने के लिए उनके पास आती हैं। इन पंक्तियों में माँ के प्रेम और समर्पण को दर्शाता हैं।
पंक्तियों का सार: इस पंक्तियों में कवि ने बताया है कि माँ रोज़ाना अपने बच्चों को नयी-नयी कहानियाँ सुनाती हैं और उन्हें चाँद-सितारों तक ले जाती हैं। वे अपने बच्चों को पढ़ाती हैं और उन्हें प्रेम, दया और ममता की मूरत के रूप में समझाती हैं। इन पंक्तियों में माँ के प्रेम और शिक्षा के महत्व को दर्शाता हैं।
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
१) माॅं कैसे सुलाती है?
उत्तर: मां लोरियों गाकर अपने बच्चों को सुलाती हैं।
२) चुपके से आकर कौन जगाती है?
उत्तर: चुपके से आकर माॅं अपने बच्चों को जगाती हैं।
३) माॅं क्या-क्या खिलाती है?
उत्तर: मां अपने बच्चों को खेल-खिलौने और दूध-मलाई से खिलाती हैं।
४) माॅं कब मनाती है?
उत्तर: जब उनके बच्चे रूठ जाते हैं तो माॅं उन्हें मनाने के लिए उनके पास आती हैं।
५) माॅं किसकी मूरत है?
उत्तर: माॅं प्रेम, दया और ममता की मूरत हैं।
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