रक्षाबंधन का त्योहार
भारतवर्ष त्योहारों और पर्वो का देश है। इस देश के हर राज्य में विभिन्न धर्मों के लोग अनेक उत्सव मनाते है। हर त्योहार एक पुण्य पर्व होता है, जो लोगों में उल्लास, पवित्र भावना और नये आदर्श की भावना लेकर आता है।
आजकल गोवा में गणेश चतुर्थी, दीपावली, होली के संग रक्षाबंधन का त्योहार भी बड़ी मनाया जाता है। धूमधाम से मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हमारे पुराणों में कथा है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलिराजा के अभिमान को इसी दिन उसीके साथ उसीकी इच्छानुसार उसके शीश पर अपना चरण रखकर उसे पाताल में गाड़ दिया था।
इस दिन को नारियल पूर्णिमा भी कहते है। इस दिन लोग नदी या समुद्र की पूजा करते हैं, पानी को गंध- अक्षता लगाकर नारियल छोड़ते है। मछुए लोग इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। लोग इस दिन नया जनेऊ पहनते है।
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार का एक पवित्र प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर अपने हाथों से प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए शुभकामनाएँ व्यक्त करती है। भाई बहन को उपहार देता है और उसे जीवन भर साथ देने का और उसकी रक्षा करने का वचन देता है। बहन भाई की आरती उतारकर उसे टिका लगाती है।
आजकल बाजारों में रंगबिरंगी, विविध आकार की, अलंकार युक्त राखियों की प्रदर्शनी लगती है। राखी का अनमोल धागा भाई बहन के अमर प्यार का एक पवित्र बंधन है।
राखी से आपसी बैर मिट जाता है। बंधुत्व की भावना पैदा होती है। रक्षाबंधन आज हमारा राष्ट्रीय त्योहार बन गया है।