साहसी राजू
पाठ का सारांश:
राजू एक साहसी और हिम्मतवान बच्चा था। वह स्कूल से घर लौटा था। स्कूल में ज्यादा खेलने से वह थक गया था। अपने आने के बाद, वह हाथ-मुँह धोकर खाना खाने बैठ गया। खाना खाने के बाद वह चारपाई पर लेट गया। जैसे ही वह आराम से लेटा, उसे झपकी आ गई।
इसी बीच किसी के चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। लोग चिल्ला रहे थे, "आग! आग! आग!" बस्ती में आग लग गई थी। भयभीत होकर राजू बाहर निकला और देखा कि लोग दक्षिण की ओर भाग रहे हैं। उसने भी उन्हें अपने साथ जाने का निर्णय किया।
आग के कारण कई मकान और झोपड़ियाँ जल चुकी थीं और अब आग राजू के स्कूल की ओर बढ़ रही थी। तभी एक जलती हुई लकड़ी स्कूल के छप्पर से गिरने लगी। छप्पर फूस का था और आग के संचयन के कारण वह धूं-धूं करके जल रहा था। राजू के सामने वाहन से बाहर निकलने का समय बहुत कम था, लेकिन उसने धैर्य और साहस से छप्पर चढ़ लिया।
वहां पहुंचकर राजू ने जलते हुए फूस पर पानी डालना शुरू किया। उसने अपनी जान की परवाह नहीं की और धीरे-धीरे आग बुझती गई। लोग भी वहां पहुंच गए और उन्होंने भी पानी डालकर आग को बुझाया।
राजू की इस साहसिक कार्रवाई ने लोगों को प्रेरित किया और सबने उसकी हिम्मत की सराहना की।
कहानी से सीख:
इस घटना से राजू ने सिखा कि साहस, धैर्य और बचाव की योजना के साथ हम आपदा से कैसे निपट सकते हैं।
नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:-
1) राजू क्यों थक गया था?
उत्तर:- स्कूल में ज्यादा खेलने के कारण राजू थक गया था।
२) लोग किस और भाग रहे थे?
उत्तर:- लोग आग से बचने के लिए दक्षिण की ओर भाग रहे थे।
३) आग में क्या-क्या जल गया?
उत्तर:- आग में कई मकान और झोपड़ियाँ जल गई थीं।
४) राजू किसके सहारे छप्पर चढ़ा?
उत्तर:- राजू बांस के सहारे स्कूल के छप्पर चढ़ा।
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