पाठ: एक खिलाड़ी की कुछ यादें - Solutions

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एक खिलाड़ी की कुछ यादें 





पाठ का सारांश - Summary 

एक खिलाड़ी की कुछ यादें पाठ के लेखक केशवदत्त का एक आत्मकथात्मक संस्मरण है, जो एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे. उन्होंने 1948 और 1952 के ओलंपिक में भारत के लिए खेला और दोनों बार स्वर्ण पदक जीता

पाठ में, लेखक अपने बचपन और युवावस्था के बारे में लिखते हैं, जब उन्होंने पहली बार हॉकी खेलना शुरू किया. वे अपने दोस्तों और परिवार के बारे में भी लिखते हैं, जिन्होंने उन्हें हॉकी खेलने में प्रोत्साहित किया. लेखक अपने ओलंपिक अनुभवों के बारे में भी लिखते हैं, और वे उस गर्व और संतुष्टि के बारे में लिखते हैं जो उन्होंने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर महसूस किया.

पाठ में, लेखक हॉकी के महत्व के बारे में भी लिखते हैं. वे कहते हैं कि हॉकी एक टीम खेल है, और यह टीम वर्क और नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद करता है. वे कहते हैं कि हॉकी एक शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल है, और यह आपको स्वस्थ और फिट रखता है. वे कहते हैं कि हॉकी एक मनोरंजक खेल है, और यह आपको आनंद और खुशी देता है.

पाठ एक प्रेरक और उत्साहजनक संस्मरण है. यह हमें बताता है कि सपनों को पूरा करना संभव है, अगर हम कड़ी मेहनत करें और कभी हार न मानें. यह हमें बताता है कि खेल हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, और वे हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बना सकते हैं.


प्रश्न और उत्तर

(क) लेखक बैडमिंटन चैंपियन था। उसे हॉकी खेलने की प्रेरणा किससे और कैसे मिली?
उत्तर:  लेखक बैडमिंटन चैंपियन था. उसे हॉकी खेलने की प्रेरणा ध्यानचंद से मिली. ध्यानचंद एक महान हॉकी खिलाड़ी थे और उन्होंने भारत को कई बार विश्व चैंपियन बनाया था. लेखक ने ध्यानचंद को खेलते हुए देखा और उनकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने तय किया कि वे भी हॉकी खेलेंगे और ध्यानचंद की तरह महान खिलाड़ी बनेंगे.


(ख) इंग्लैंड से मैच जीतने के बाद सबकी आँखों में आँसू क्यों थे?
उत्तर:  इंग्लैंड से मैच जीतने के बाद सबकी आँखों में आँसू थे क्योंकि यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी. भारत ने इंग्लैंड को हराकर पहली बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. यह जीत भारत के लिए एक राष्ट्रीय गौरव की बात थी और सभी भारतीयों को इस पर गर्व था.


(ग) ‘खिलाड़ियों में जज़्बा ज़रूरी है।’ लेखक ने किस जज़्बे की बात की है? यह जज़्बा क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:  ‘खिलाड़ियों में जज़्बा ज़रूरी है.’ लेखक ने खेल के प्रति जुनून की बात की है. खेल में सफल होने के लिए खिलाड़ियों में खेल के प्रति जुनून होना चाहिए. उन्हें खेल के बारे में बहुत कुछ जानना चाहिए और वे खेल के लिए बहुत मेहनत करने के लिए तैयार होने चाहिए. खेल के प्रति जुनून ही खिलाड़ियों को कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने और सफल होने में मदद करता है.








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