लेखक परिचय - हरिशंकर परसाई

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हरिशंकर परसाई (22 अगस्त 1922 - 10 अगस्त 1995) हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार थे. वे हिंदी साहित्य में व्यंग्य विधा के अग्रदूत हैं. उन्होंने अपने व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक कुरीतियों को उजागर किया और लोगों को जागरूक किया.

परसाई का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गांव में हुआ था. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए. किया. कुछ समय तक उन्होंने अध्यापन कार्य किया, लेकिन बाद में वे स्वतंत्र लेखन में लग गए.

परसाई ने अपने व्यंग्य में सामाजिक और राजनीतिक कुरीतियों को उजागर किया. उन्होंने अपने व्यंग्य के माध्यम से लोगों को जागरूक किया और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग किया. उन्होंने अपने व्यंग्य में सरकार, प्रशासन, शिक्षा, धर्म, जाति, समुदाय और व्यक्तिगत जीवन आदि सभी पहलुओं को शामिल किया.

परसाई के प्रमुख व्यंग्य रचनाओं में शामिल हैं:

  • 'ग्रंथकार'
  • 'हँसते हैं रोते हैं'
  • 'भोलाराम का जीव'
  • 'विकलांग श्रद्धा का दौर'
  • 'आधुनिक भारत का इतिहास'
  • 'कथा कुबेर'
  • 'समालोचना का ढोल'
  • 'विचार और व्यंग्य'

परसाई को साहित्य अकादमी पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार का शलाका सम्मान और भारत सरकार का पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.

परसाई हिंदी साहित्य के एक महान व्यंग्यकार थे. उन्होंने अपने व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक कुरीतियों को उजागर किया और लोगों को जागरूक किया. वे हिंदी साहित्य में व्यंग्य विधा के अग्रदूत हैं.

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